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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

27-06-2025

माल की कमी से इमली में और तेजी की उम्मीद

  •  इमली का उत्पादन कम होने तथा पुराना स्टॉक निबट जाने से तेजी का रुख बना हुआ है। आगे त्यौहारी खपत शुरू हो गई है। दूसरी ओर असम एवं बंगाल में इमली इस बार केवल 30-31 प्रतिशत है, इन परिस्थितियों में भविष्य में इमली बीज वाली 70 रुपए किलो बिक सकती है। इमली का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड पश्चिम बंगाल एवं असम में होता था, जो पिछले 7-8 वर्षों से झारखंड का माल पश्चिम बंगाल एवं असम में ही खप रहा है। वास्तविकता यह है कि गुवाहाटी लाइन की इमली लगभग समाप्ति की ओर है, वहां उत्पादन के बाद मुश्किल से ढाई तीन महीने में ही लोकल में खप जाती है। आगे देश की पूर्ति केवल मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं कुछ झारखंड के मालों से होती है। इस बार प्रतिकूल मौसम होने एवं बरसात कम होने से इमली के फल पेड़ों पर कम लगे थे तथा विगत दो वर्षों के अंतराल 22 प्रतिशत इमली के पुराने पेड़ गिर चुके हैं। यही कारण है कि इस बार इमली का सकल उत्पादन 28-29 प्रतिशत घटकर देश में 6 लाख बोरी के करीब रह जाने का अनुमान आ रहा है, जो गत वर्ष एक अनुमान के मुताबिक 8.30 लाख बोरी हुआ था। हम मानते हैं कि इमली की खपत भी पहले की अपेक्षा चटनी एवं अचार में कम हुई है, क्योंकि टमाटर की सौंस एवं चटनी ज्यादा बिकने लगी है,जो पड़ते में सस्ता लगता है, इन सबके बावजूद भी इमली की खपत के अनुरूप इस बार माल नहीं है तथा पुराना स्टॉक केवल 10 प्रतिशत बचा है। गौरतलब है कि जगदलपुर लाइन से लगातार कानपुर लखनऊ लुधियाना जालंधर लाइन के लिए माल जा रहा है, इधर जयपुर जोधपुर लाइन में भी माल जा रहा है तथा झारखंड का माल बंगाल एवं बिहार में खप रहा है, इस वजह से इस बार इमली की आपूर्ति जगदलपुर लाइन से यहां घट गई है। इसकी नई फसल 3 महीने से चल रही है, लेकिन माल की भारी कमी होने से उत्पादक मंडियों से पड़ते यहां महंगे हो गए हैं तथा नया माल यहां 44/45 रुपए खुलकर वर्तमान में 54/55 रुपए बीज वाली बोलने लगे हैं, पुराना माल 5152 बिक रहा है तथा इन भावों में भी ज्यादा माल नहीं है। हम मानते हैं कि दिल्ली की मार्केट में व्यापार कम है, लेकिन जयपुर मंडी काफी तेज चल रही है, अधिकतर व्यापार राजस्थान पंजाब के लिए हो रहा है, इस वजह से जगदलपुर मंडी से यहां माल हाजिर में मांगने पर ढाई-तीन रुपए का महंगा पड़ रहा है, क्योंकि पंजाब हरियाणा भी सीधे माल जाने लगा है। इधर साउथ वाले इमली को जयपुर शहडोल एवं जगदलपुर बस्तर लाइन से खरीद रहे है तथा झारखंड बंगाल में माल कम होने से एवं पड़ता लगने से वहां का माल पटना भागलपुर धनबाद मुजफ्फरपुर सिवान छपरा के साथ-साथ नेपाल के कुछ क्षेत्रों में जाने लगा है। यही कारण है कि इस बार नया माल बिना बीज वाली चपाती मुक्तसर भी नीचे में 88/105 रुपए प्रति किलो बोलने लगे हैं तथा बढिय़ा सिलेक्टेड माल 112 रुपए तक बिक रहा है। बाजार में हाजिर माल की कमी होने तथा आगे खपत को देखते हुए बीज वाली इमली जो 55 रुपए प्रति किलो बोल रहे हैं, इसके भाव 70 रुपए दशहरा तक बन सकते हैं।

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माल की कमी से इमली में और तेजी की उम्मीद

 इमली का उत्पादन कम होने तथा पुराना स्टॉक निबट जाने से तेजी का रुख बना हुआ है। आगे त्यौहारी खपत शुरू हो गई है। दूसरी ओर असम एवं बंगाल में इमली इस बार केवल 30-31 प्रतिशत है, इन परिस्थितियों में भविष्य में इमली बीज वाली 70 रुपए किलो बिक सकती है। इमली का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड पश्चिम बंगाल एवं असम में होता था, जो पिछले 7-8 वर्षों से झारखंड का माल पश्चिम बंगाल एवं असम में ही खप रहा है। वास्तविकता यह है कि गुवाहाटी लाइन की इमली लगभग समाप्ति की ओर है, वहां उत्पादन के बाद मुश्किल से ढाई तीन महीने में ही लोकल में खप जाती है। आगे देश की पूर्ति केवल मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं कुछ झारखंड के मालों से होती है। इस बार प्रतिकूल मौसम होने एवं बरसात कम होने से इमली के फल पेड़ों पर कम लगे थे तथा विगत दो वर्षों के अंतराल 22 प्रतिशत इमली के पुराने पेड़ गिर चुके हैं। यही कारण है कि इस बार इमली का सकल उत्पादन 28-29 प्रतिशत घटकर देश में 6 लाख बोरी के करीब रह जाने का अनुमान आ रहा है, जो गत वर्ष एक अनुमान के मुताबिक 8.30 लाख बोरी हुआ था। हम मानते हैं कि इमली की खपत भी पहले की अपेक्षा चटनी एवं अचार में कम हुई है, क्योंकि टमाटर की सौंस एवं चटनी ज्यादा बिकने लगी है,जो पड़ते में सस्ता लगता है, इन सबके बावजूद भी इमली की खपत के अनुरूप इस बार माल नहीं है तथा पुराना स्टॉक केवल 10 प्रतिशत बचा है। गौरतलब है कि जगदलपुर लाइन से लगातार कानपुर लखनऊ लुधियाना जालंधर लाइन के लिए माल जा रहा है, इधर जयपुर जोधपुर लाइन में भी माल जा रहा है तथा झारखंड का माल बंगाल एवं बिहार में खप रहा है, इस वजह से इस बार इमली की आपूर्ति जगदलपुर लाइन से यहां घट गई है। इसकी नई फसल 3 महीने से चल रही है, लेकिन माल की भारी कमी होने से उत्पादक मंडियों से पड़ते यहां महंगे हो गए हैं तथा नया माल यहां 44/45 रुपए खुलकर वर्तमान में 54/55 रुपए बीज वाली बोलने लगे हैं, पुराना माल 5152 बिक रहा है तथा इन भावों में भी ज्यादा माल नहीं है। हम मानते हैं कि दिल्ली की मार्केट में व्यापार कम है, लेकिन जयपुर मंडी काफी तेज चल रही है, अधिकतर व्यापार राजस्थान पंजाब के लिए हो रहा है, इस वजह से जगदलपुर मंडी से यहां माल हाजिर में मांगने पर ढाई-तीन रुपए का महंगा पड़ रहा है, क्योंकि पंजाब हरियाणा भी सीधे माल जाने लगा है। इधर साउथ वाले इमली को जयपुर शहडोल एवं जगदलपुर बस्तर लाइन से खरीद रहे है तथा झारखंड बंगाल में माल कम होने से एवं पड़ता लगने से वहां का माल पटना भागलपुर धनबाद मुजफ्फरपुर सिवान छपरा के साथ-साथ नेपाल के कुछ क्षेत्रों में जाने लगा है। यही कारण है कि इस बार नया माल बिना बीज वाली चपाती मुक्तसर भी नीचे में 88/105 रुपए प्रति किलो बोलने लगे हैं तथा बढिय़ा सिलेक्टेड माल 112 रुपए तक बिक रहा है। बाजार में हाजिर माल की कमी होने तथा आगे खपत को देखते हुए बीज वाली इमली जो 55 रुपए प्रति किलो बोल रहे हैं, इसके भाव 70 रुपए दशहरा तक बन सकते हैं।


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