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17-06-2025

देसी चने में केवल ग्राहकी का मंदा, भविष्य में प्रतिष्ठा के बाद बढऩा संभव

  •  बाजार में रुपए की भारी तंगी होने से देशी चना सहित सभी दलहनों में मंदे का दौर चल रहा है, लेकिन उत्पादक मंडियों में देसी चने की आवक काफी टूट जाने तथा आस्ट्रेलिया के माल भी मुंदड़ा पोर्ट पर निबट जाने से इसमे आगे चलकर लाभ मिलने की संभावना दिखाई दे रही है। देश में दूसरे वर्ष भी देसी चने का उत्पादन सभी राज्यों में कम हुआ है, जिसमें कुल मिलाकर 80 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान आ रहा है, वहीं सरकार का उत्पादन अनुमान 110 लाख मीट्रिक टन का आ रहा है, जबकि हमारी कुल खपत देसी चने की 130 लाख मीट्रिक टन की है। यह वर्तमान का मंदा केवल रुपए की भारी तंगी होने से आया हुआ है। व्यापारियों की रकम दलहन बाजार में काफी टूट गई है, जिससे परचेज क्षमता नहीं है। दलहन के कारोबारियों को उड़द तुवर एवं देसी चने के फारवर्ड व्यापार ने तबाह कर दिया है, क्योंकि जो भी आयातको स्टॉकिस्टों ने फॉरवर्ड का माल बेचा था, जिसमें 70 प्रतिशत लिवाल पार्टियों ने माल संभालने से हाथ खड़ा कर दिए थे, वह आयातकों के गले में फंस गया था, उसे आयातकों को पौने भाव में सेटलमेंट करना पड़ा, जिसमें लगभग 30 हजार करोड़ रुपए का घाटा लग गया है।  यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया में गत वर्ष की तुलना में 300 डॉलर घटकर 600 डॉलर  प्रति टन में अक्टूबर-नवंबर शिपमेंट का देसी चना मिल रहा है, लेकिन भारतीय आयातक सौदे नहीं कर रहे हैं। वहां से आज की तारीख में सौदे 5900 रुपए प्रति कुंतल मुंदड़ा पोर्ट के पड़ते में अक्टूबर-नवंबर शिपमेंट के मिल रहे हैं, जो यहां सारा खर्च लगाकर 6200 पड़ेगा, हाजिर में वहां 5600 प्रति कुंतल भाव बोल रहे हैं, जो दिल्ली में पड़ता नहीं है। अत: देसी चना सहित सभी दलहनों में और मंदे की धारणा समाप्त हो गई है।  वर्तमान में आंध्र प्रदेश कर्नाटक में देसी चने की आपूर्ति 50 प्रतिशत घट गई है। महाराष्ट्र में भी आवक का प्रेशर पूरी तरह समाप्त हो गया है, राजस्थान में भी माल कम आ रहा है। सभी उत्पादक क्षेत्रों में दाने छोटे होने से प्रति हैक्टेयर उत्पादकता कम रही है। राजस्थान के बीकानेर शेखावाटी तारानगर नोहरभाद्रा सवाई माधोपुर लाइन में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 23 प्रतिशत कम आ रहा है। वहीं लोकल दाल मिलें मीलिंग के लिए कम खरीद रही हैं। एमपी की उक्त मंडियों में भाव ऊंचे होने से दिल्ली सहित एनसीआर की दाल मिलों के पड़ते नहीं लग रहे है। अत: खड़ी मोटर में 5725/5750 रुपए का राजस्थानी चना धैर्य रखने पर लाभ दे जाएगा।

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देसी चने में केवल ग्राहकी का मंदा, भविष्य में प्रतिष्ठा के बाद बढऩा संभव

 बाजार में रुपए की भारी तंगी होने से देशी चना सहित सभी दलहनों में मंदे का दौर चल रहा है, लेकिन उत्पादक मंडियों में देसी चने की आवक काफी टूट जाने तथा आस्ट्रेलिया के माल भी मुंदड़ा पोर्ट पर निबट जाने से इसमे आगे चलकर लाभ मिलने की संभावना दिखाई दे रही है। देश में दूसरे वर्ष भी देसी चने का उत्पादन सभी राज्यों में कम हुआ है, जिसमें कुल मिलाकर 80 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान आ रहा है, वहीं सरकार का उत्पादन अनुमान 110 लाख मीट्रिक टन का आ रहा है, जबकि हमारी कुल खपत देसी चने की 130 लाख मीट्रिक टन की है। यह वर्तमान का मंदा केवल रुपए की भारी तंगी होने से आया हुआ है। व्यापारियों की रकम दलहन बाजार में काफी टूट गई है, जिससे परचेज क्षमता नहीं है। दलहन के कारोबारियों को उड़द तुवर एवं देसी चने के फारवर्ड व्यापार ने तबाह कर दिया है, क्योंकि जो भी आयातको स्टॉकिस्टों ने फॉरवर्ड का माल बेचा था, जिसमें 70 प्रतिशत लिवाल पार्टियों ने माल संभालने से हाथ खड़ा कर दिए थे, वह आयातकों के गले में फंस गया था, उसे आयातकों को पौने भाव में सेटलमेंट करना पड़ा, जिसमें लगभग 30 हजार करोड़ रुपए का घाटा लग गया है।  यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया में गत वर्ष की तुलना में 300 डॉलर घटकर 600 डॉलर  प्रति टन में अक्टूबर-नवंबर शिपमेंट का देसी चना मिल रहा है, लेकिन भारतीय आयातक सौदे नहीं कर रहे हैं। वहां से आज की तारीख में सौदे 5900 रुपए प्रति कुंतल मुंदड़ा पोर्ट के पड़ते में अक्टूबर-नवंबर शिपमेंट के मिल रहे हैं, जो यहां सारा खर्च लगाकर 6200 पड़ेगा, हाजिर में वहां 5600 प्रति कुंतल भाव बोल रहे हैं, जो दिल्ली में पड़ता नहीं है। अत: देसी चना सहित सभी दलहनों में और मंदे की धारणा समाप्त हो गई है।  वर्तमान में आंध्र प्रदेश कर्नाटक में देसी चने की आपूर्ति 50 प्रतिशत घट गई है। महाराष्ट्र में भी आवक का प्रेशर पूरी तरह समाप्त हो गया है, राजस्थान में भी माल कम आ रहा है। सभी उत्पादक क्षेत्रों में दाने छोटे होने से प्रति हैक्टेयर उत्पादकता कम रही है। राजस्थान के बीकानेर शेखावाटी तारानगर नोहरभाद्रा सवाई माधोपुर लाइन में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 23 प्रतिशत कम आ रहा है। वहीं लोकल दाल मिलें मीलिंग के लिए कम खरीद रही हैं। एमपी की उक्त मंडियों में भाव ऊंचे होने से दिल्ली सहित एनसीआर की दाल मिलों के पड़ते नहीं लग रहे है। अत: खड़ी मोटर में 5725/5750 रुपए का राजस्थानी चना धैर्य रखने पर लाभ दे जाएगा।


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