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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

09-06-2025

स्थिर भाव से धनिया में ठहराव की स्थिति : निवेशकों को ब्याज-बदला का मौका

  •  मानसून के आगमन के साथ ही कृषि उत्पादों के बाजारों में सन्नाटा छा जाता है। किसान खेती-किसानी में व्यस्त हैं, व्यापारी पुराने हिसाब-किताब निपटाने में लगे हैं और स्टॉकिस्ट यह व्यवस्था करने में लगे हैं कि उनका माल गोदामों में भीग न जाए। हालांकि, धनिया का कारोबार पिछले एक महीने से मानसून जैसे मूड में है। हाजिर बाजार हो या वायदा, हर जगह धनिया के भाव में ठहराव की स्थिति है। एनसीडीईएक्स वायदा के भावों पर नजर डालें तो पिछले एक महीने से ये पेंडुलम की तरह ऊपर-नीचे होते रहे हैं, 7150 रुपये प्रति क्विंटल के उच्चतम स्तर से लेकर 6930 रुपये प्रति क्विंटल के निम्नतम स्तर तक। हालांकि, सीजन शुरू होने पर मामूली तेजी देखने के बाद लगातार मंदी छाई रही है। 26 मार्च को धनिया का भाव प्रति क्विंटल 7800 रुपये था। जबकि 4 जून को यह गिरकर 6930 रुपये पर आ गया। दरअसल, जब रबी सीजन की रोपाई के आंकड़े आने शुरू हुए थे, तो अनुमान लगाया गया था कि इस बार रोपाई कम होगी और धनिया का उत्पादन 25 फीसदी कम होगा। जिसके कारण धनिया की आय में भी कमी आने की आशंका थी। हालांकि, सीजन आगे बढऩे के साथ व्यापारियों की यह धारणा गलत साबित हुई। व्यापारियों का कहना है कि इस बार धनिया का उत्पादन महज पांच से 10 फीसदी कम हुआ है। इसी तरह आय भी उम्मीद से ज्यादा हुई है। अभी हर कोई इस बात पर भरोसा कर रहा है कि सीजन पिछले साल से बमुश्किल 10 फीसदी कम आय के साथ समाप्त होगा। हालांकि, अब बारिश शुरू होने के साथ ही यह आय भी कम हो जाएगी। एक नए सर्वे के अनुसार, इस बार गुजरात में धनिया की खेती करीब 10 फीसदी ज्यादा हुई है, जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश के हाड़ौती बेल्ट में धनिया की खेती में 10 से 20 फीसदी तक कमी आने का अनुमान है। व्यापारियों को ईद के त्योहारों के दौरान नई मांग की उम्मीद थी, लेकिन ऐसी कोई खास खरीद नहीं हुई है। स्थानीय बाजार पूरी तरह से सुस्त है। पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण निर्यात भी प्रभावित हुआ। अब, अगर ईद के त्योहारों के बाद खाड़ी देश खरीद करते हैं, तो कीमत बढ़ सकती है। और किसानों को ज्यादा दाम मिल सकते हैं। निर्यात के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत ने 2023-24 में 108615 टन धनिया का निर्यात किया। इसके विपरीत, भारत ने पिछले वर्ष बमुश्किल 54482 टन धनिया का निर्यात किया था। फरवरी 2025 में, 5433 टन निर्यात किया गया, जो फरवरी-2024 में निर्यात किए गए 6577 टन धनिया से भी कम था। मार्च-2024 से फरवरी-2025 की अवधि में, 63435 टन धनिया का निर्यात किया गया। जो पिछले साल की समान अवधि के निर्यात से 44 फीसदी कम है। यह सही है कि किसानों को उम्मीद के मुताबिक अच्छे दाम नहीं मिले हैं, लेकिन यह बाजार है और अब यह वैश्विक बाजार से जुड़ रहा है। इसलिए किसानों को भी जोखिम कम करने के लिए एनसीडीईएक्स वायदा में पुट ऑप्शन खरीदने की आदत डालनी होगी। फिर अगर डिलीवरी के समय कीमत अधिक मिलती है तो किसान अपना माल हाजिर बाजार में डिलीवर कर सकते हैं। हालांकि, मौजूदा बाजार भाव और एनसीडीईएक्स वायदा बाजार भाव के बीच अंतर के कारण ब्याज-बदला पर ब्याज दर करीब 11 से 12 फीसदी है। इस मौके का फायदा उठाकर निवेशक बिना जोखिम के कमाई कर सकते हैं। फिलहाल वायदा में रोजाना कारोबार 50 करोड़ रुपये का है और करीब 20,000 टन का ओपन इंटरेस्ट है। वायदा चूंकि लिक्विड है, इसलिए निवेशकों को कोई दिक्कत नहीं है। चूंकि अब तक करीब दो लाख टन धनिया बाजार में आ चुका है, इसलिए इस सीजन का बड़ा स्टॉक आने की संभावना नहीं है।

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स्थिर भाव से धनिया में ठहराव की स्थिति : निवेशकों को ब्याज-बदला का मौका

 मानसून के आगमन के साथ ही कृषि उत्पादों के बाजारों में सन्नाटा छा जाता है। किसान खेती-किसानी में व्यस्त हैं, व्यापारी पुराने हिसाब-किताब निपटाने में लगे हैं और स्टॉकिस्ट यह व्यवस्था करने में लगे हैं कि उनका माल गोदामों में भीग न जाए। हालांकि, धनिया का कारोबार पिछले एक महीने से मानसून जैसे मूड में है। हाजिर बाजार हो या वायदा, हर जगह धनिया के भाव में ठहराव की स्थिति है। एनसीडीईएक्स वायदा के भावों पर नजर डालें तो पिछले एक महीने से ये पेंडुलम की तरह ऊपर-नीचे होते रहे हैं, 7150 रुपये प्रति क्विंटल के उच्चतम स्तर से लेकर 6930 रुपये प्रति क्विंटल के निम्नतम स्तर तक। हालांकि, सीजन शुरू होने पर मामूली तेजी देखने के बाद लगातार मंदी छाई रही है। 26 मार्च को धनिया का भाव प्रति क्विंटल 7800 रुपये था। जबकि 4 जून को यह गिरकर 6930 रुपये पर आ गया। दरअसल, जब रबी सीजन की रोपाई के आंकड़े आने शुरू हुए थे, तो अनुमान लगाया गया था कि इस बार रोपाई कम होगी और धनिया का उत्पादन 25 फीसदी कम होगा। जिसके कारण धनिया की आय में भी कमी आने की आशंका थी। हालांकि, सीजन आगे बढऩे के साथ व्यापारियों की यह धारणा गलत साबित हुई। व्यापारियों का कहना है कि इस बार धनिया का उत्पादन महज पांच से 10 फीसदी कम हुआ है। इसी तरह आय भी उम्मीद से ज्यादा हुई है। अभी हर कोई इस बात पर भरोसा कर रहा है कि सीजन पिछले साल से बमुश्किल 10 फीसदी कम आय के साथ समाप्त होगा। हालांकि, अब बारिश शुरू होने के साथ ही यह आय भी कम हो जाएगी। एक नए सर्वे के अनुसार, इस बार गुजरात में धनिया की खेती करीब 10 फीसदी ज्यादा हुई है, जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश के हाड़ौती बेल्ट में धनिया की खेती में 10 से 20 फीसदी तक कमी आने का अनुमान है। व्यापारियों को ईद के त्योहारों के दौरान नई मांग की उम्मीद थी, लेकिन ऐसी कोई खास खरीद नहीं हुई है। स्थानीय बाजार पूरी तरह से सुस्त है। पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण निर्यात भी प्रभावित हुआ। अब, अगर ईद के त्योहारों के बाद खाड़ी देश खरीद करते हैं, तो कीमत बढ़ सकती है। और किसानों को ज्यादा दाम मिल सकते हैं। निर्यात के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत ने 2023-24 में 108615 टन धनिया का निर्यात किया। इसके विपरीत, भारत ने पिछले वर्ष बमुश्किल 54482 टन धनिया का निर्यात किया था। फरवरी 2025 में, 5433 टन निर्यात किया गया, जो फरवरी-2024 में निर्यात किए गए 6577 टन धनिया से भी कम था। मार्च-2024 से फरवरी-2025 की अवधि में, 63435 टन धनिया का निर्यात किया गया। जो पिछले साल की समान अवधि के निर्यात से 44 फीसदी कम है। यह सही है कि किसानों को उम्मीद के मुताबिक अच्छे दाम नहीं मिले हैं, लेकिन यह बाजार है और अब यह वैश्विक बाजार से जुड़ रहा है। इसलिए किसानों को भी जोखिम कम करने के लिए एनसीडीईएक्स वायदा में पुट ऑप्शन खरीदने की आदत डालनी होगी। फिर अगर डिलीवरी के समय कीमत अधिक मिलती है तो किसान अपना माल हाजिर बाजार में डिलीवर कर सकते हैं। हालांकि, मौजूदा बाजार भाव और एनसीडीईएक्स वायदा बाजार भाव के बीच अंतर के कारण ब्याज-बदला पर ब्याज दर करीब 11 से 12 फीसदी है। इस मौके का फायदा उठाकर निवेशक बिना जोखिम के कमाई कर सकते हैं। फिलहाल वायदा में रोजाना कारोबार 50 करोड़ रुपये का है और करीब 20,000 टन का ओपन इंटरेस्ट है। वायदा चूंकि लिक्विड है, इसलिए निवेशकों को कोई दिक्कत नहीं है। चूंकि अब तक करीब दो लाख टन धनिया बाजार में आ चुका है, इसलिए इस सीजन का बड़ा स्टॉक आने की संभावना नहीं है।


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