बनपशा का पौधा पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है, इसको गुल-बनपशा के नाम से भी जाना जाता है। विशेष रूप से यह यूरोप, ईरान और उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है।बनपशा ढंडी जगह उगने वाला पौधा होता है। जिसको औषधीय और सजावटी दोनों प्रकार मे लिया जाता है। जो किसी भी स्थान को आकर्षक और रंगीन बना सकता हैं और इसके अलावा यह स्वास्थ्य लाभ भी देता है यानी आयुर्वेदिक दवा के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। बनपशा को नेपाली जड़ी बूटी भी कहा जाता है क्योंकि नेपाल में भी इसका पौधा उगता है। इसपर नीले और सफेद रंग का फुल आता है। इसकी नई फसल नवम्बर -दिसंबर सर्दियों मे आती है। बनपशा का उपयोग औषधीय मे खासी, जुखाम, सूजन और अस्थमा मे काम आता है, आकर्षण के तौर पर यह गमलों में, बगीचों की किनारियों पर लगाया जाता है। बनपशा का आयात यूरोप, ईरान और उत्तरी अमेरिका से होता है। इसका निर्यात सभी राज्यो में होता है। यह पौधा ठंडे एरिया में पाया जाता है, जैसे - हिमाचल प्रदेश, यूरोप, और ईरान में पाया जाता है। इसमें दो तरह की क्वालिटी आती है एक सफेद जो कम अच्छी बताई जाती है,एक नीली जो ज्यादा अच्छी बताई जाती है। इसका माल हर वर्ष कम मात्रा में आता है। आगामी महीना में इसकी नई फसल आने की उम्मीद लगाई जा रही है। फिलहाल दिल्ली मंदिरों में स्टॉक सीमित मात्रा में बना हुआ है। जिसके चलते वर्तमान में इसकी कीमत 1550-3000 रुपए प्रति किलो चल रहा है।