जब शेर हमले की तैयारी करता है तो दो कदम पीछे हट जाता है। ग्वार के भावों की चाल इस समय कुछ ऐसा ही संकेत दे रही है। दिवाली पर नया माल आने के बाद से भाव लगातार नीचे जा रहे थे, लेकिन पिछले हफ्ते थोड़ी तेजी आई, जिसे विशेषज्ञ अल्पकालिक मान रहे हैं। 15 अक्टूबर को एनसीडीईएक्स वायदा में ग्वार गम के भाव 9,350 रुपये प्रति क्विंटल थे, जो 26 नवंबर को गिरकर 8,300 रुपये पर आ गए। जो सप्ताह के अंत में फिर बढक़र 8,750 रुपये पर पहुँच गए। इसी तरह ग्वार सीड के भाव 5,200 रुपये प्रति क्विंटल थे, जो 26 नवंबर को गिरकर 4,600 रुपये पर बंद हुए और सप्ताह के अंत में फिर 4,800 रुपये पर बंद हुए। बाजार में इस तरह के उतार-चढ़ाव से छोटे मिल मालिकों और किसानों का बजट बिगड़ जाता है। इसलिए उन्हें सुरक्षा यानी हेजिंग के साथ सौदे करने चाहिए। भाव बढ़ते ही बाजारों में आवक में भी तेजी देखी गई। और तो और अब गुजरात में भी नए माल की आवक शुरू हो गई है। पिछले हफ्ते गुजरात, राजस्थान और हरियाणा तीनों राज्यों में ग्वार सीड की कुल औसत दैनिक आवक 90,000 बोरी दर्ज की गई। उस समय मिलों की पर्याप्त खरीद के कारण भाव स्थिर रहे थे, लेकिन निर्यात की मांग के साथ-साथ पशु आहार की मांग भी कम है। वैसे, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें भी कम हैं, इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि तेल कंपनियों की मांग भी कम रहेगी। इस बार दिवाली तक बारिश जारी रहने से कुछ इलाकों में नए माल की आवक में देरी हो रही है। हालांकि, अगर इस साल के 10.25 लाख टन उत्पादन को 4.39 लाख टन ग्वार सीड के शुरुआती स्टॉक में जोड़ दें, तो कुल आपूर्ति 14.64 लाख टन होती है। मौजूदा बाजार हालात इतनी आपूर्ति को झेल नहीं सकते। जानकारों का मानना है कि घरेलू खपत 10 लाख टन रहेगी। फिर भी, अगर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक 60 डॉलर के स्तर पर बनी रहती है, तो खपत कम हो जाएगी। जब किसानों ने ग्वार की बुआई की थी, तब ग्वार के सीड का भाव 5400 रुपये प्रति क्विंटल था। उस समय, अगर किसानों ने नवंबर-2025 या दिसंबर-2025 के महीने के लिए ग्वार सीड ऑप्शन सौदे में 200 रुपये का प्रीमियम देकर पुट ऑप्शन खरीदा होता, तो उन्हें 400 रुपये प्रति क्विंटल तक का फायदा होता। खैर, अब वह समय चला गया है। ग्वार के सीड लंबे समय तक चलने वाली फसल हैं। इसलिए, ये दो-तीन मौसम तक खराब नहीं होते। इसलिए, अगर भाव और गिरते हैं, तो उन्हें स्टॉक करके रखने से ही फायदा होगा। सवाल यह है कि इस भाव पर पुट ऑप्शन खरीदने से उन्हें कितना फायदा होगा। एनसीडीईएक्स ग्वार गम वायदा के साथ ऑप्शन होने से किसान सुरक्षित हैं। वर्तमान में ग्वार सीड वायदा में 75,000 टन और ग्वार गम वायदा में 60,000 टन का ओपन इंटरेस्ट है। ग्वार सीड में औसत दैनिक वॉल्यूम 120 करोड़ रुपये और ग्वार गम में 100 करोड़ रुपये है, वायदा भी काफी सुरक्षित है। पिछले सप्ताह की शुरुआत में मामूली तेजी के कारण, आवक में भी वृद्धि हुई, लेकिन स्टेशनों पर बैठे स्टॉकिस्टों का कहना है कि मौजूदा तेजी अल्पकालिक है। इसलिए, बहुत उम्मीद रखने के बजाय, किसानों को तेजी आने पर अपनी उपज बेचनी चाहिए। हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि हाजिर बाजार में गुजरात और राजस्थान दोनों राज्यों में अभी भी माल का बोझ है।