काला तिल सिर्फ एक सामान्य बीज नहीं, बल्कि एक सुपरसीड है, जो अंदर और बाहर दोनों स्तर पर शरीर को मजबूत और स्वस्थ बनाता है। यह हड्डियों, नसों, मांसपेशियों और लिगामेंट को पोषण देने के साथ-साथ स्किन की सेहत सुधारने, दर्द और अकडऩ कम करने और ऊर्जा बढ़ाने में भी बेहद असरदार है। इसलिए कहा जाता है कि काला तिल किसी भी सुपरफूड से कम नहीं है। यह बीज न सिर्फ स्वाद और खुशबू में शानदार है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाजवाब है। यह शरीर के हड्डी, मांसपेशियों, लिगामेंट और नसों तक गहराई से पोषण पहुंचाता है। इसमें भरपूर कैल्शियम, हेल्दी फैट और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने, टिशू की मरम्मत और मांसपेशियों की मजबूती में मदद करते हैं। काला तिल का तेल भी बेहद असरदार है। इसका गर्म स्वभाव शरीर में सर्कुलेशन को बढ़ाता है, अकडऩ कम करता है, चोट या थकान से प्रभावित टिशू को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। अगर आप अक्सर मांसपेशियों में दर्द या जोड़ों में अकडऩ महसूस करते हैं, तो काला तिल का सेवन या इसका तेल लगाने से राहत मिल सकती है। यह शरीर के अंदर नई जान डालता है और पुराने थकान या सूखापन को दूर करता है। इसके नियमित उपयोग से मांसपेशियों और जोड़ों की मजबूती बढ़ती है और हड्डियों की मरम्मत तेज होती है। टिशू, लिगामेंट और हड्डियों को यह गहराई तक पोषण देता है, जिससे शरीर अधिक लचीला और मजबूत बनता है। यही वजह है कि आयुर्वेद में इसे शांत करने वाला बीज भी कहा गया है। यह न सिर्फ अंदर से काम करता है, बल्कि बाहर से भी असर दिखाता है। काला तिल का तेल स्किन के लिए भी वरदान है। इसे लगाने से त्वचा मुलायम और स्वस्थ रहती है, क्योंकि यह टिशू लेवल तक पोषण देता है। नसों और मेरुदंड को भी यह पोषण पहुंचाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और थकान कम महसूस होती है। जो लोग नियमित रूप से काले तिल का सेवन करते हैं, उनके शरीर में सूखापन, दर्द और अकडऩ कम होती है और संपूर्ण शारीरिक लचीलापन बढ़ता है।