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04-04-2025

शैल्बी हॉस्पिटल ने किया दुनिया का पहला हैपलोइडेंटिकल बोनमैरो ट्रांसप्लांट

  •  दुनिया का पहला हैपलोइडेंटिकल बोनमैरो ट्रांसप्लांट (क्चरूञ्ज) एक 5 वर्षीय बच्चे पर सफलतापूर्वक किया गया है, जो एक दुर्लभ और जटिल इम्यूनोडेफिशिएंसी विकार से पीडि़त था। यह बाल चिकित्सा हेमेटोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। शैल्बी सनार अस्पताल के रक्त और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण एवं कोशिका चिकित्सा विभाग के निदेशक एवं प्रमुख, डॉ. सत्येंद्र कटेवा ने कहा कि  यह एक अत्यंत जटिल मामला था लेकिन हमारी टीम ने सभी बाधाओं को पार करते हुए इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। मास्टर अंबास लंबे समय से फेल्योरटूथ्राइव (स्नञ्जञ्ज), गंभीर क्रॉनिक लंगडिजीज (ष्टरुष्ठ) और लीकीगटसिंड्रोम (रुत्रस्) से पीडि़त थे। दुखद रूप से, उनके बड़े भाई की भी इसी बीमारी के कारण सात वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई थी। इस मामले को और जटिल बना देने वाली बात यह थी कि मास्टर अंबास के लिए पूर्ण ॥रु्र मेल खाने वाला कोई डोनर उपलब्ध नहीं था। ऐसे में मेडिकल टीम ने 50 प्रतिशत ॥रु्र मिलान वाले हैपलोइडेंटिकल क्चरूञ्ज का निर्णय लिया। 

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शैल्बी हॉस्पिटल ने किया दुनिया का पहला हैपलोइडेंटिकल बोनमैरो ट्रांसप्लांट

 दुनिया का पहला हैपलोइडेंटिकल बोनमैरो ट्रांसप्लांट (क्चरूञ्ज) एक 5 वर्षीय बच्चे पर सफलतापूर्वक किया गया है, जो एक दुर्लभ और जटिल इम्यूनोडेफिशिएंसी विकार से पीडि़त था। यह बाल चिकित्सा हेमेटोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। शैल्बी सनार अस्पताल के रक्त और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण एवं कोशिका चिकित्सा विभाग के निदेशक एवं प्रमुख, डॉ. सत्येंद्र कटेवा ने कहा कि  यह एक अत्यंत जटिल मामला था लेकिन हमारी टीम ने सभी बाधाओं को पार करते हुए इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। मास्टर अंबास लंबे समय से फेल्योरटूथ्राइव (स्नञ्जञ्ज), गंभीर क्रॉनिक लंगडिजीज (ष्टरुष्ठ) और लीकीगटसिंड्रोम (रुत्रस्) से पीडि़त थे। दुखद रूप से, उनके बड़े भाई की भी इसी बीमारी के कारण सात वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई थी। इस मामले को और जटिल बना देने वाली बात यह थी कि मास्टर अंबास के लिए पूर्ण ॥रु्र मेल खाने वाला कोई डोनर उपलब्ध नहीं था। ऐसे में मेडिकल टीम ने 50 प्रतिशत ॥रु्र मिलान वाले हैपलोइडेंटिकल क्चरूञ्ज का निर्णय लिया। 


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