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17-12-2025

एआई सेगमेंट में इंडिया की धाक, दुनिया का तीसरा सबसे कंपिटिटिव देश बना

  •  भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के क्षेत्र में दुनिया में तीसरा सबसे मजबूत और प्रतिस्पर्धी देश बनने का स्थान हासिल किया है। यह जानकारी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी टूल रिपोर्ट में दी गई है। इस रैंकिंग से पता चलता है कि भारत का तेजी से बढ़ता टेक्नोलॉजी क्षेत्र और यहां के कुशल लोग दुनिया की एआई विकास यात्रा में अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्टैनफोर्ड के अनुसार, अमेरिका एआई के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है, जिसका स्कोर 78.6 है। चीन दूसरे स्थान पर है और उसका स्कोर 36.95 है। वहीं, भारत तीसरे स्थान पर है, जिसका स्कोर 21.59 है। इस लिस्ट में भारत ने दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, सिंगापुर, जापान, कनाडा, जर्मनी और फ्रांस जैसे विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। स्टैनफोर्ड की यह एआई रैंकिंग कई बातों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है, जिसमें शोध और विकास, प्रतिभाशाली लोगों की उपलब्धता, निवेश, अर्थव्यवस्था पर असर, तकनीकी ढांचा, सरकार की नीतियां और लोगों की राय जैसे पहलुओं को शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि किस देश में एआई तकनीक कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है और सरकारें इसे कितना सपोर्ट कर रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि किसी देश की आमदनी का स्तर एआई में उसकी ताकत को प्रभावित करता है। हाई इनकम वाले देश इस लिस्ट में आगे हैं, जबकि चीन और ब्राजील जैसे अपर-मिडिल-इनकम वाले देश भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। भारत खास इसलिए है, क्योंकि यह कम इनकम वाले देशों में होते हुए भी इस लिस्ट में काफी ऊंचे स्थान पर है, जो उसकी अलग पहचान को दर्शाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग देश आगे हैं। अमेरिका शोध व विकास, नीति और शासन, अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जिम्मेदार एआई के मामलों में सबसे आगे है। चीन प्रतिभा, अर्थव्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, जबकि भारत प्रतिभा के मामले में टॉप तीन देशों में शामिल है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में कुशल इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद हैं। रिपोर्ट में एक व्यापक चिंता भी जताई गई है कि यदि सभी देशों को एआई के विकास के समान मौके नहीं मिले, तो इनके बीच असमानता बढ़ सकती है। लेकिन, भारत के लिए यह रैंकिंग बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह दिखाता है कि देश में एआई में निवेश बढ़ रहा है, शोध का स्तर बेहतर हो रहा है, स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं और भारत के पास बड़ी संख्या में कुशल तकनीकी युवा मौजूद हैं।

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एआई सेगमेंट में इंडिया की धाक, दुनिया का तीसरा सबसे कंपिटिटिव देश बना

 भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के क्षेत्र में दुनिया में तीसरा सबसे मजबूत और प्रतिस्पर्धी देश बनने का स्थान हासिल किया है। यह जानकारी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी टूल रिपोर्ट में दी गई है। इस रैंकिंग से पता चलता है कि भारत का तेजी से बढ़ता टेक्नोलॉजी क्षेत्र और यहां के कुशल लोग दुनिया की एआई विकास यात्रा में अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्टैनफोर्ड के अनुसार, अमेरिका एआई के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है, जिसका स्कोर 78.6 है। चीन दूसरे स्थान पर है और उसका स्कोर 36.95 है। वहीं, भारत तीसरे स्थान पर है, जिसका स्कोर 21.59 है। इस लिस्ट में भारत ने दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, सिंगापुर, जापान, कनाडा, जर्मनी और फ्रांस जैसे विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। स्टैनफोर्ड की यह एआई रैंकिंग कई बातों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है, जिसमें शोध और विकास, प्रतिभाशाली लोगों की उपलब्धता, निवेश, अर्थव्यवस्था पर असर, तकनीकी ढांचा, सरकार की नीतियां और लोगों की राय जैसे पहलुओं को शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि किस देश में एआई तकनीक कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है और सरकारें इसे कितना सपोर्ट कर रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि किसी देश की आमदनी का स्तर एआई में उसकी ताकत को प्रभावित करता है। हाई इनकम वाले देश इस लिस्ट में आगे हैं, जबकि चीन और ब्राजील जैसे अपर-मिडिल-इनकम वाले देश भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। भारत खास इसलिए है, क्योंकि यह कम इनकम वाले देशों में होते हुए भी इस लिस्ट में काफी ऊंचे स्थान पर है, जो उसकी अलग पहचान को दर्शाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग देश आगे हैं। अमेरिका शोध व विकास, नीति और शासन, अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जिम्मेदार एआई के मामलों में सबसे आगे है। चीन प्रतिभा, अर्थव्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, जबकि भारत प्रतिभा के मामले में टॉप तीन देशों में शामिल है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में कुशल इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद हैं। रिपोर्ट में एक व्यापक चिंता भी जताई गई है कि यदि सभी देशों को एआई के विकास के समान मौके नहीं मिले, तो इनके बीच असमानता बढ़ सकती है। लेकिन, भारत के लिए यह रैंकिंग बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह दिखाता है कि देश में एआई में निवेश बढ़ रहा है, शोध का स्तर बेहतर हो रहा है, स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं और भारत के पास बड़ी संख्या में कुशल तकनीकी युवा मौजूद हैं।


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