वो कहते हैं ना बटरफ्लाइज इन स्टमक...ऑटो इंक के हालात बिल्कुल ऐसे ही हैं। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने जीएसटी के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर को स्लैब रेशनलाइज करने का प्रपोजल सौंप दिया है यानी गाड़ी चल पड़ी है। ऐनेलिस्ट्स की अपनी-अपनी राय है लेकिन एक मुद्दा ऐसा है जिस पर सब सहमत है और वो यह कि देर आयद दुरुस्त आयद...(बैटर लेट दैन नेवर)। ग्लोबल ब्रोकरेज नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि जीएसटी रेट कट का प्रपोजल राज्य सरकारों से मंजूर हो जाता है तो इसका डायरेक्ट और पॉजिटिव असर पूरे ऑटो सेक्टर की डिमांड पर पड़ेगा। भारत के जीडीपी में ऑटो इंडस्ट्री का शेयर 7.1 परसेंट और जीवीए में 49 परसेंट। रिपोर्ट कहती हैं कि ऑटो इंडस्ट्री से कुल 3.7 करोड़ जॉब्स मिले हुए हैं। नोमुरा का मानना है कि जीएसटी कट का मल्टीप्लायर इफेक्ट होगा जो लगभग 1-1.5 गुना तक हो सकता है। यानी सभी ऑटो सैगमेंट्स में डिमांड में 5 से 10 परसेंट की ग्रोथ अनलॉक हो सकती है। बेस्टसैलर मॉडलों की प्राइस में बड़ी कटौती होने की उम्मीद है। जैसे मारुति वैगनआर की प्राइस में लगभग 9 परसेंट की कमी आ सकती है। मारुति सालाना करीब 2 लाख वैगनआर बेचती है। इसी तरह महिन्द्रा बोलेरो पर 10 परसेंट, महिन्द्रा एक्सयूवी700 पर 7 परसेंट, जबकि मारुति ब्रेजा और ह्यूंदे क्रेटा पर लगभग 3 परसेंट तक की कटौती हो सकती है। अभी स्मॉल कार्स और टू-व्हीलर्स पर 28 परसेंट जीएसटी लगता है, जबकि बड़ी कारों पर उनके आकार और फीचर्स के आधार पर 43-50 परसेंट तक टैक्स लिया जाता है। जीएसटी 2.0 के तहत स्मॉल कार्स और टू-व्हीलर्स पर जीएसटी रेट 28 से घटाकर 18 परसेंट पर लाया जा सकता है, जबकि बड़ी कारों पर दर को लगभग 40 परसेंट तक लाया जा सकता है।
हालांकि 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकल्स पर टैक्स बढ़ सकता है। इस सैगमेंट की मोटरसाइकल्स पर अभी 31 परसेंट टैक्स लगता है जो बढक़र 40 परसेंट हो सकता है। नोमुरा का कहना है कि मारुति के कुल पोर्टफोलियो में से लगभग 68 परसेंट मॉडल स्मॉल कार कैटेगरी में आते हैं, जबकि महिन्द्रा के लगभग 52 परसेंट मॉडल एलसीवी और एंट्री-लेवल यूटिलिटी सेगमेंट में है। ऐसे में ये दोनों कंपनियां जीएसटी कट से सबसे ज्यादा फायदे में रह सकती हैं। लेकिन प्रधानमंत्री के लालकिला पर दिए संकेत के बाद से ही जीएसटी कटौती के इंतजार में रिटेल सेल्स में कुछ स्लोडाउन देखने को मिला है। नोमुरा का मानना है कि जीएसटी कट का फायदा टू-व्हीलर कंपनियों के मुकाबले फोर-व्हीलर कंपनियों को ज्यादा होगा। टू-व्हीलर के लिए एबीएस नॉम्र्स लागू होने से लागत 3 से 4 हजार रुपये तक बढ़ जाएगी यानी जीएसटी कट का लाभ नहीं के बराबर रह जाएगा। हालांकि रॉयल एनफील्ड के सभी मॉडल एबीएस-कम्प्लायंट हैं इसलिए अन्य कंपनियों के मुकाबले यह ज्यादा फायदे में रहेगी। नोमुरा ने कहा है कि आइस वेहीकल्स पर जीएसटी रेट घटती है, तो इसका कोलैटरल डैमेज ईवी को हो सकता है। दोनों में प्राइस गैप बढ़ जाने के कारण ईवी के लिए बायर सेंटिमेंट कमजोर पड़ सकता है। यदि ईवी के लिए अलग से कोई इंसेंटिव नहीं आता है तो ईवी अडॉप्शन 2-3 साल तक पिछड़ सकता है। नोमुरा का अनुमान है कि जीएसटी कट से सरकार को सालाना लगभग 74,000 करोड़ का रेवेन्यू लॉस हो सकता है हालांकि सेल्स में यदि 10 परसेंट ग्रोथ होती है तो घाटा घटकर लगभग 54,000 करोड़ रुपये रह जाएगा।