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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

23-07-2025

अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर बैंकों के Margins पर दिखा प्रेशर

  •  अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर में कई बैंकों के मार्जिनों पर प्रेशर की स्थिति देखने को मिली है। विभिन्न बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिनों (NIM) में इस दौरान 1 से लेकर 67 बेसिस पाइंट्स तक की गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में बैंकों की प्रोफिटेबिलिटी को ट्रेजरी सेगमेंट में हुए प्रॉफिट से सपोर्ट मिला है। इंडिविजुअल बैंकों की बात करें तो एचडीएफसी बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन जून 2025 क्वार्टर में क्वार्टरली आधार पर 3.46 प्रतिशत से घटकर 3.35 प्रतिशत दर्ज किए गए। इसी तरह एक्सिस बैंक के NIM भी 17 बेसिस पाइंट घटकर 3.80 प्रतिशत रहे। ईसीआईसीआई बैंक के NIM भी जून 2025 क्वार्टर में 7 बेसिस पाइंट घटकर 4.34 प्रतिशत रहे। बैंक के मेनेजमेंट का कहना है कि नेट इंटरेस्ट मार्जिनों में दूसरे क्वार्टर में थोड़ी और गिरावट आने की आशंका है। युनियन बैंक ऑफ इंडिया के NIM भी पहले क्वार्टर में 2.87 प्रतिशत से घटकर 2.76 प्रतिशत रह गए। बैंक मेनेजमेंट का कहना है कि इंटरेस्ट रेट्स के रैपिट ट्रांसमिशन के कारण NIM में दबाव देखने मिला है व यह ट्रेंड दूसरे क्वार्टर में भी जारी रह सकता है। पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए बैंक मेनेजमेंट का मानना है कि NIM में 20-25 बेसिस पाइंट की कमी आ सकती है। एनालिस्ट्स का कहना है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती के बाद बैंकों ने लेंडिंग रेट्स (एसेट साइड) को तो एडजस्ट कर दिया है पर डिपॉजिट्स (लाइबिलिटी साइड) पर फिलहाल इसके इंपैक्ट को एडजस्ट नहीं किया है जिसके कारण NIM में कांट्रेक्शन देखने को मिल रहा है। बैंकिंग इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि क्रेडिट ग्रोथ काफी कमजोर बनी हुई है। कॉर्पोरेट क्लाइंट फिलहाल Wait & Watch के मूड में हैं। अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर में बैंकों की ओवरऑल प्रोफिटेबिलिटी को ट्रेजरी सेगमेंट के मजबूत परफोर्मेंस से बड़ा सपोर्ट मिला है। उदाहरण के तौर पर देखें तो आईसीआईसीआई बैंक की ट्रेजरी इनकम जून 2025 क्वार्टर में 419 प्रतिशत बढक़र 1241 करोड़ रुपये हो गई जबकि बंधन बैंक के मामले में यह 1340 प्रतिशत बढक़र 251 करोड़ रुपये, यस बैंक की 270 प्रतिशत बढक़र 484 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र की 99 प्रतिशत बढक़र 193 करोड़ रुपये व सेंट्रल बैंक की ट्रेजरी इनकम 62 प्रतिशत बढक़र 664 करोड़ रुपये हो गई। एक्सपटर्स के अनुसार जुलाई-सितंबर 2025 क्वार्टर में मार्जिन प्रेशर में और तीव्रता देखने को मिल सकती है।

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अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर बैंकों के Margins पर दिखा प्रेशर

 अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर में कई बैंकों के मार्जिनों पर प्रेशर की स्थिति देखने को मिली है। विभिन्न बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिनों (NIM) में इस दौरान 1 से लेकर 67 बेसिस पाइंट्स तक की गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में बैंकों की प्रोफिटेबिलिटी को ट्रेजरी सेगमेंट में हुए प्रॉफिट से सपोर्ट मिला है। इंडिविजुअल बैंकों की बात करें तो एचडीएफसी बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन जून 2025 क्वार्टर में क्वार्टरली आधार पर 3.46 प्रतिशत से घटकर 3.35 प्रतिशत दर्ज किए गए। इसी तरह एक्सिस बैंक के NIM भी 17 बेसिस पाइंट घटकर 3.80 प्रतिशत रहे। ईसीआईसीआई बैंक के NIM भी जून 2025 क्वार्टर में 7 बेसिस पाइंट घटकर 4.34 प्रतिशत रहे। बैंक के मेनेजमेंट का कहना है कि नेट इंटरेस्ट मार्जिनों में दूसरे क्वार्टर में थोड़ी और गिरावट आने की आशंका है। युनियन बैंक ऑफ इंडिया के NIM भी पहले क्वार्टर में 2.87 प्रतिशत से घटकर 2.76 प्रतिशत रह गए। बैंक मेनेजमेंट का कहना है कि इंटरेस्ट रेट्स के रैपिट ट्रांसमिशन के कारण NIM में दबाव देखने मिला है व यह ट्रेंड दूसरे क्वार्टर में भी जारी रह सकता है। पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए बैंक मेनेजमेंट का मानना है कि NIM में 20-25 बेसिस पाइंट की कमी आ सकती है। एनालिस्ट्स का कहना है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती के बाद बैंकों ने लेंडिंग रेट्स (एसेट साइड) को तो एडजस्ट कर दिया है पर डिपॉजिट्स (लाइबिलिटी साइड) पर फिलहाल इसके इंपैक्ट को एडजस्ट नहीं किया है जिसके कारण NIM में कांट्रेक्शन देखने को मिल रहा है। बैंकिंग इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि क्रेडिट ग्रोथ काफी कमजोर बनी हुई है। कॉर्पोरेट क्लाइंट फिलहाल Wait & Watch के मूड में हैं। अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर में बैंकों की ओवरऑल प्रोफिटेबिलिटी को ट्रेजरी सेगमेंट के मजबूत परफोर्मेंस से बड़ा सपोर्ट मिला है। उदाहरण के तौर पर देखें तो आईसीआईसीआई बैंक की ट्रेजरी इनकम जून 2025 क्वार्टर में 419 प्रतिशत बढक़र 1241 करोड़ रुपये हो गई जबकि बंधन बैंक के मामले में यह 1340 प्रतिशत बढक़र 251 करोड़ रुपये, यस बैंक की 270 प्रतिशत बढक़र 484 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र की 99 प्रतिशत बढक़र 193 करोड़ रुपये व सेंट्रल बैंक की ट्रेजरी इनकम 62 प्रतिशत बढक़र 664 करोड़ रुपये हो गई। एक्सपटर्स के अनुसार जुलाई-सितंबर 2025 क्वार्टर में मार्जिन प्रेशर में और तीव्रता देखने को मिल सकती है।


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