सरकार द्वारा प्राइवेट कंपनियों को कई वर्षों से कैपिटल एक्सपेंडीचर (CAPEX) या इंवेस्ट करने के लिए कहा जा रहा है पर नया इंवेस्टमेंट करने की जगह कंपनियां अपनी कमाई का यूज डेब्ट रीपेमेंट कर डेब्ट-फ्री होने व कैश रिजर्व बढ़ाने के लिए कर रही हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में 303 लिस्टेड कंपनियां अपना डेब्ट-रीपेमेंट कर पूर्ण रूप से डेब्ट-फ्री हो गई हैं। यही नहीं इन कंपनियों का Cash Reserve भी 2024-25 में डबल हो गया है। इन कंपनियों पर 31 मार्च 2024 को 28007 करोड़ रुपये का कुल डेब्ट था जो इन कंपनियों ने 2024-25 में चुका दिया। वहीं इन कंपनियों की बेलेंस शीट में 31 मार्च 2024 को 21478 करोड़ रुपये के मुकाबले Cash का लेवल बढक़र 31 मार्च 2025 को 50463 करोड़ रुपये हो गया। एक्सपटर्स का कहना है कि कोविड के बाद कंपनियों का फोकस Cash Reserve क्रिएट करने पर बढ़ा है ताकि किसी भी अनिश्चितता का सामना किया जा सके। उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में जियोपोलिटिकल टेंशन बढऩे के साथ ही सप्लाई-चेन डिसरप्शंस व ट्रेड एवं टैरिफ रिलेटेड अनिश्चिताएं पिछले कुछ समय में बढ़ी हैं। कुछ एक्सपटर्स कहते हैं कि नए इंवेस्टमेंट के लिए डेब्ट का यूज करने की जगह कंपनियां अब मार्केट से इक्विटी फंड जुटाने को प्रायोरिटी देने लगी है। शेयर बाजारों में जारी गतिशीलता व आईपीओ मार्केट में तेजी ने कंपनियों की इस स्ट्रेटेजी को सपोर्ट भी किया है। कंपनियों की बुक्स में Cash Holdings बढऩा कैपेक्स के प्रति कंपनियों की बदलती एप्रोच को भी दर्शाता है। तेजी से बदलते कंजंप्शन ट्रेंड्स के कारण कंपनियां अब Asset-Light स्ट्रेटेजी अपना रही है। पिछले महिने जारी हुए आरबीआई के डाटा के अनुसार सेंट्रल बैंक द्वारा इंटरेस्ट रेट्स में लगातार की जा रही कटौती के बावजूद 2024-25 में कंपनियों के डेब्ट लेवल मात्र 2.9 प्रतिशत से बढ़े हैं।
