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04-12-2025

ईरान की करेंसी फिसलकर 12 लाख प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आई

  •  परमाणु प्रतिबंधों के दबाव से बदहाल ईरान की मुद्रा रियाल बुधवार को बड़ी गिरावट के साथ 12 लाख प्रति अमेरिकी डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल की नई विनिमय दर मंगलवार को ही पेश की थी, जो अब मुद्रा बाजार में लागू हो गया है। ईरानी मुद्रा में इस तेज गिरावट के कारण खाद्य पदार्थों और दैनिक जरूरतों की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। देश में मांस, चावल और अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं के दाम लगातार बढऩे से आम नागरिकों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी और मुश्किल होती जा रही है। ईरान पर लगे अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय परमाणु प्रतिबंधों ने उसकी अर्थव्यवस्था की हालत खराब कर दी है। इन प्रतिबंधों के चलते ईरान से होने वाले तेल निर्यात पर भी असर पड़ा है, जो ईरान की आय का प्रमुख स्रोत रहा है। इस बीच, ईरान और इजराइल के बीच फिर से संघर्ष भडक़ने को लेकर लोग आशंकित हैं। ईरानी नागरिकों को लगता है कि अगर संघर्ष फिर छिड़ता है तो इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था, आपूर्ति शृंखला और आम जीवन पर पड़ेगा। पिछले जून में दोनों देशों के बीच 12 दिन तक भीषण संघर्ष हुआ था अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद इस पर लगाम लगी थी लेकिन अब भी तनाव बना हुआ है। 

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ईरान की करेंसी फिसलकर 12 लाख प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आई

 परमाणु प्रतिबंधों के दबाव से बदहाल ईरान की मुद्रा रियाल बुधवार को बड़ी गिरावट के साथ 12 लाख प्रति अमेरिकी डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल की नई विनिमय दर मंगलवार को ही पेश की थी, जो अब मुद्रा बाजार में लागू हो गया है। ईरानी मुद्रा में इस तेज गिरावट के कारण खाद्य पदार्थों और दैनिक जरूरतों की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। देश में मांस, चावल और अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं के दाम लगातार बढऩे से आम नागरिकों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी और मुश्किल होती जा रही है। ईरान पर लगे अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय परमाणु प्रतिबंधों ने उसकी अर्थव्यवस्था की हालत खराब कर दी है। इन प्रतिबंधों के चलते ईरान से होने वाले तेल निर्यात पर भी असर पड़ा है, जो ईरान की आय का प्रमुख स्रोत रहा है। इस बीच, ईरान और इजराइल के बीच फिर से संघर्ष भडक़ने को लेकर लोग आशंकित हैं। ईरानी नागरिकों को लगता है कि अगर संघर्ष फिर छिड़ता है तो इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था, आपूर्ति शृंखला और आम जीवन पर पड़ेगा। पिछले जून में दोनों देशों के बीच 12 दिन तक भीषण संघर्ष हुआ था अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद इस पर लगाम लगी थी लेकिन अब भी तनाव बना हुआ है। 


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