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03-12-2025

जियो-फेसबुक सौदा कोर्ट ने 30 लाख रुपये के जुर्माने के खिलाफ रिलायंस की याचिका की खारिज

  •  उच्चतम न्यायालय ने प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के एक फैसले के खिलाफ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके दो अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी। प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी) ने जियो-फेसबुक सौदे के बारे में शेयर बाजार को तुरंत स्पष्टीकरण नहीं देने पर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के जुर्माने को बरकरार रखा था। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने जियो-फेसबुक सौदे पर शेयर बाजार को तुरंत स्पष्टीकरण नहीं देने के लिए आरआईएल और सावित्री पारेख एवं के. सेथुरमन पर कुल 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसका खुलासा मीडिया की खबरों के माध्यम से हुआ था। सेबी के इस जुर्माने को दो मई 2025 को एसएटी ने बरकरार रखा था। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एसएटी के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। साथ ही प्रभावी रूप से सेबी के निष्कर्षों की पुष्टि की कि आरआईएल और उसके अनुपालन अधिकारी हिस्सेदारी बिक्री के संबंध में अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी (यूपीएसआई) का तुरंत खुलासा करने में विफल रहे। शीर्ष अदालत ने कहा कि एसएटी के निष्कर्ष हस्तक्षेप योग्य नहीं हैं। इसके अलावा इसमें ऐसा कोई कानूनी पहलू नहीं है जिस पर निर्णय की आवश्यकता हो। सेबी के निर्णायक अधिकारी जून 2022 को इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि आरआईएल ने ‘इनसाइडर ट्रेडिंग रेगुलेशंस’ (पीआईटी) विनियमों की अनुसूची ए के सिद्धांत-4 का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही 30 लाख रुपये का संयुक्त जुर्माना लगाया गया था।

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जियो-फेसबुक सौदा कोर्ट ने 30 लाख रुपये के जुर्माने के खिलाफ रिलायंस की याचिका की खारिज

 उच्चतम न्यायालय ने प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के एक फैसले के खिलाफ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके दो अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी। प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी) ने जियो-फेसबुक सौदे के बारे में शेयर बाजार को तुरंत स्पष्टीकरण नहीं देने पर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के जुर्माने को बरकरार रखा था। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने जियो-फेसबुक सौदे पर शेयर बाजार को तुरंत स्पष्टीकरण नहीं देने के लिए आरआईएल और सावित्री पारेख एवं के. सेथुरमन पर कुल 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसका खुलासा मीडिया की खबरों के माध्यम से हुआ था। सेबी के इस जुर्माने को दो मई 2025 को एसएटी ने बरकरार रखा था। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एसएटी के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। साथ ही प्रभावी रूप से सेबी के निष्कर्षों की पुष्टि की कि आरआईएल और उसके अनुपालन अधिकारी हिस्सेदारी बिक्री के संबंध में अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी (यूपीएसआई) का तुरंत खुलासा करने में विफल रहे। शीर्ष अदालत ने कहा कि एसएटी के निष्कर्ष हस्तक्षेप योग्य नहीं हैं। इसके अलावा इसमें ऐसा कोई कानूनी पहलू नहीं है जिस पर निर्णय की आवश्यकता हो। सेबी के निर्णायक अधिकारी जून 2022 को इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि आरआईएल ने ‘इनसाइडर ट्रेडिंग रेगुलेशंस’ (पीआईटी) विनियमों की अनुसूची ए के सिद्धांत-4 का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही 30 लाख रुपये का संयुक्त जुर्माना लगाया गया था।


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