पिछले कुछ वर्षों से ‘हॉट’ रहा सोलर सैल मेन्यूफेक्चरिंग सेक्टर एकदम से ठंडा पड़ता नजर आ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस सेक्टर की कंपनियों द्वारा रिपोर्ट किए जा रहे मजबूत फाइनेंशियल परफोर्मेंस के बावजूद इंवेस्टरों द्वारा लगातार इनमें सेलिंग की जा रही है जिसके चलते पिछले 3 महिने में इन कंपनियों के शेयरों में 36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। ऐसे में सोलर सैल मेन्यूफेक्चरर्स को लेकर इंवेस्टरों के बीच चिंता का क्या कारण है, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। असल में डोमेस्टिक सोलर सैल कंपनियों ने पिछले कुछ समय में एग्रेसिव कैपेसिटी एक्सपेंशन प्लान की घोषणाएं की हैं जिसके चतले इस सेक्टर में Oversupply रिलेटेड चिंताएं उभरने लगी हैं। जेपी मॉर्गन के अनुमानों के मुताबिक 2026-27 तक इंडिया में सोलर सैल मेन्यूफेक्चरिंग कैपेसिटी का लेवल 100 GW से भी अधिक हो सकता है जो कि डोमेस्टिक डिमांड से काफी अधिक है। इस तरह की ओवर-सप्लाई की स्थिति यदि बनती है तो इसके डोमेस्टिक सोलर सैल कंपनियों के प्रोफिट मार्जिनों पर प्रेशर आने के अलावा यह स्थिति टैरिफ, Domestic Content Requirements (DCR) नियमों व Approved List of Models & Manufacturers जैसी स्कीमों के बेनेफिट्स को भी कम कर सकती है। इन्हीं चिंताओं के कारण संभवतया सोलर मेन्यूफेक्चरिंग प्रोजेक्ट्स के लिए कैपिटल जुटाना भी मुश्किल होता जा रहा है। एनालिस्ट्स का मानना है कि इस सेक्टर में आए पूर्व आईपीओ को जहां 56-79 गुना तक का सब्सक्रिप्शन मिला था वहीं वर्तमान में आए सात्विक ग्रीन व एमवी फोटोवोल्टेईक के आईपीओ को क्रमश: मात्र 7 गुना व 0.97 गुना का ही सब्सक्रिप्शन हासिल हो पाया। इस सेक्टर की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों के परफोर्मेंस को देखें तो पिछले 3 महिने में इनसोलेशन एनर्जी लि. के शेयरों में 36.45 प्रतिशत, वारी टेक्नोलॉजी में 13.5 प्रतिशत व विक्रम सोलर के शेयरों में 21 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। पिछले 1 वर्ष में वारी एनर्जीज़ लि. को छोडक़र अन्य सभी कंपनियों के शेयरों ने इंवेस्टरों को नेगेटिव रिटर्न दिए हैं।
