इलेक्ट्रिक ट्रक भारत में हैं लेकिन फ्रिंज प्लेयर ही हैं। इसके उलट चीन में पांच साल में इनकी सेल करीब चार गुना हो चुकी है। वर्ष 2020 में चीन में 85 हजार ई-ट्रक बिके थे तो वर्ष 2024 में 3.20 लाख ई-ट्रक बिके। चीन में कुल ट्रक सेल्स में ई-ट्रक का शेयर 20 परसेंट से भी ज्यादा यानी मेनस्ट्रीम में बड़े प्लेयर बन चुके हैं। भारत सरकार अब इलेक्ट्रिक ट्रक्स की सेल्स को पुश करने के लिए जोर लगाने की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट कहती हैं कि भारत सरकार ने ई-ट्रक्स के लिए एक सब्सिडी प्लान तैयार किया है। चर्चा है कि सरकार 5 हजार रुपये प्रति किलोवाट-घंटा बैटरी क्षमता की सब्सिडी देने पर विचार कर रही है। हालांकि यह कैसे लागू होगी अभी तय नहीं है क्योंकि सरकार की प्रमुख पीएम ई-ड्राइव योजना केवल मार्च 2026 तक ही है। पहले 5 हजार रुपये और 7,500 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा के दो सब्सिडी स्लैब्स पर चर्चा हुई थी लेकिन स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत के बाद 5 हजार रुपये प्रति किलोवॉट के स्लैब पर सहमति बन गई बताई जाती है। यदि इस सब्सिडी स्कीम को लागू किया जाता है तो एक इलेक्ट्रिक ट्रक पर 12.5 लाख से 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है। हालांकि एक शर्त यह होगी कि ट्रांसपोर्टर को समान या हायर कैटेगरी के डीजल ट्रक को स्क्रेप करवा कर सर्टिफिकेट लेना होगा। पीएम ई-ड्राइव योजना का कुल बजट 10,900 करोड़ रुपये है जिसमें से 500 करोड़ रुपये ई-ट्रक्स पर सब्सिडी के लिए तय किए गए हैं। सरकार ने ई-ट्रक्स को सनराइज सेक्टर घोषित किया है और बंदरगाह, सीमेंट, स्टील और लॉजिस्टिक्स सैक्टर में इनकी डिमांड ग्रोथ का आकलन किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, एन2 (3.5-12 टन) और एन3 (12-55 टन) कैटेगरी में ई-ट्रक्स की लागत डीजल ट्रक की तुलना में बहुत अधिक है। जैसे कि एक डीजल एन2 ट्रक 17-18 लाख का होता है, वहीं इसी कैटेगरी का ई-ट्रक 60-64 लाख में आता है। एन3 ई-ट्रक की प्राइस 74-78 लाख तक जाती हैं। डीजल के मुकाबले ई-ट्रक्स की शुरुआती लागत में अंतर को पाटने के लिए सब्सिडी आवश्यक मानी जा रही है। माना जा रहा है सब्सिडी से ट्रांसपोर्टरों को शुरुआती निवेश के जोखिम से बचाया जा सके और ट्रक कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग व रिसर्च पर निवेश बढ़ा पाएंगी। अब तक सरकार ने ई-ट्रक्स के लिए लोकलाइजेशन (स्थानीयकरण) मानदंड अधिसूचित नहीं किए हैं। केवल उन्हीं वाहनों को टेस्टिंग एजेंसियां सब्सिडी योजना के लिए योग्य मानेंगी जो सरकार के फेज़्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम के अनुरूप होंगे। वित्त वर्ष 25 में भारत में केवल 5,356 इलेक्ट्रिक गुड्स वेहीकल रजिस्टर हुए, जो पिछले साल के 6,158 यूनिट्स से भी कम है, और इनमें से एन2 और एन3 श्रेणी के केवल 200-230 वाहन ही थे। पीएम ई-ड्राइव के तहत 14,028 इलेक्ट्रिक बसों के लिए 4,391 करोड़ आवंटित हैं।

