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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi
चारों ओर Speed (गति) से घिरे जिस परिवेश में हम जीने, रहने व कमा खाने का जो करिश्मा देख रहे हैं उसको जोखिम के संदर्भ में साधारण तरीके से इस तरह समझा जा सकता है......
जीवन का तत्व है-सेवा। स्वर्ग और अपर्व से बढक़र सेवा है। एक साधक को न स्वर्ग की कामना करनी चाहिए, न मुक्ति की, बल्कि ईश्वर ने उसे जो भी तन, मन और सामर्थ के साथ...
विकास के नये दौर को हम जिस तरह Labour v/s Leisure (परिश्रम के स्थान पर आराम) इकोनॉमी और उससे पैदा होने वाली बेरोजगारी बढ़ाने वाली समाज व्यवस्था के नाम से...
जब कोई देश Global Capitalist System की व्यवस्था को अपना लेता है तो वहां पूंजी प्रधान ऐसे अनेक घटनाक्रम घटित होते चले जाते हैं जो दिखने में व्यक्ति की सफलता......
जब कोई देश Creative के स्थान पर Distributive Capitalism या जो रुपैया जमा है उसे ही नहीं वरन अप्रत्याशित उधार लेकर विकास करने की प्रक्रिया को अपनाते हुए गति......