इंडियन स्टॉक मार्केट्स में फॉरेन इंवेस्टरों द्वारा ताबड़तोड़ व एकतरफा बिकवाली की जा रही है जिसके कारण जीएसटी रेट कट जैसे अहम रिफॉर्म की घोषणा के बावजूद बाजार ऊपरी लेवल्स से फिसल रहे हैं। इस गिरावट में इंडिविजुअल शेयरों में व्यापक बिकवाली देखने को मिल रही है। अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप द्वारा की गई घोषणाओं के कारण इंडियन आईटी व फार्मा सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में भी पिछले कुछ समय से गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है। इस बीच देखा जाए तो सभी प्रमुख एशियन मार्केट्स में इंडियन मार्केट्स से सर्वाधिक FPI (फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर) आउटफ्लो दर्ज किया जा रहा है। उपलब्ध इंफोर्मेशन के मुताबिक पिछले 1 वर्ष में इंडिया से 27.3 बिलियन डॉलर का FPI आउटफ्लो दर्ज किया गया है। इसकी तुलना में अन्य एशियन मार्केट्स की स्थिति देखें तो इस दौरान साउथ कोरियन मार्केट से 9.5 बिलियन डॉलर, मलेशिया से 5.6 बिलियन डॉलर, वियतनाम से 4.6 बिलियन डॉलर व फिलीपींस से भी 1 बिलियन डॉलर का FPI आउटफ्लो हुआ है। केवल ताईवान एवं जापानी स्टॉक मार्केट्स में ही पिछले 1 वर्ष में फॉरेन इंवेस्टरों ने नेट लेवल पर इंवेस्टमेंट किया है। इंडियन मार्केट में फॉरेन इंवेस्टरों द्वारा की जा रही भारी बिकवाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंगलवार को लगातार 9वें कारोबारी दिन इंडियन स्टॉक मार्केट्स में गिरावट दर्ज की गई।कई एक्सपटर्स का मानना है कि विभिन्न अनिश्चिततओं के चलते संभव है कि मीडियम-टर्म में इंडियन स्टॉक मार्केट में फॉरेन इंवेस्टर नया पैसा न लगाएं क्योंकि अमरीका-इंडिया के बीच अटकी ट्रेड डील के अलावा डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपैया व इंडियन मार्केट्स के महंगे वेल्यूएशन जैसे फेक्टर फॉरेन इंवेस्टरों के सतर्कतापूर्ण रवैये के जारी रहने के कारण बने रहेंगें।
