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18-07-2025

चालू वित्त वर्ष में इंडिया के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट के समक्ष आ सकती हैं दिक्कतें

  •  चालू वित्त वर्ष में भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क लगाने से यह स्थिति और बिगड़ सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुल्क वृद्धि अगस्त से लागू हो सकती है। भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिस पर नजर रखी जा रही है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का अनुमान है कि 2025 में मर्चेंडाइज ट्रेड में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024 के 3.3 प्रतिशत से घटकर 2025 में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारत के सबसे बड़े एक्सपोर्ट गंतव्य, अमेरिका में वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में भारत के मर्चेंडाइज ट्रेड पर दबाव रहने की आशंका है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा  (कैड) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 प्रतिशत के सुरक्षित स्तर पर रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट कहती है कि सेवा व्यापार में अधिशेष, धन प्रेषण के मजबूत प्रवाह से चालू खाते के घाटे को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

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चालू वित्त वर्ष में इंडिया के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट के समक्ष आ सकती हैं दिक्कतें

 चालू वित्त वर्ष में भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क लगाने से यह स्थिति और बिगड़ सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुल्क वृद्धि अगस्त से लागू हो सकती है। भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिस पर नजर रखी जा रही है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का अनुमान है कि 2025 में मर्चेंडाइज ट्रेड में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024 के 3.3 प्रतिशत से घटकर 2025 में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारत के सबसे बड़े एक्सपोर्ट गंतव्य, अमेरिका में वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में भारत के मर्चेंडाइज ट्रेड पर दबाव रहने की आशंका है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा  (कैड) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 प्रतिशत के सुरक्षित स्तर पर रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट कहती है कि सेवा व्यापार में अधिशेष, धन प्रेषण के मजबूत प्रवाह से चालू खाते के घाटे को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।


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