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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

19-07-2025

Revenue नहीं... Profit Growth से बढ़ते हैं शेयर

  •  शेयर बाजारों की भावी चाल का आम तौर पर अंदाजा लगाना मुमकिन नहीं है। इसीलिए स्टॉक मार्केट में सभी को लांग-टर्म के लिए इंवेस्ट करने की सलाह दी जाती है। शेयर बाजारों में कंपनियों का एनालिसिस करने का सभी का अपना-अपना तरीका होता है। कोई इंवेस्टर कंपनी मेनेजमेंट को सबसे महत्वपूर्ण मानता है तो कोई कंपनी के पुराने फाइनेंशियल परफोर्मेंस को। इसी तरह कोई वेल्यूएशन के आधार पर कंपनियों का एनालिसिस करता है तो कोई टेक्नीकल या चाटर््स के आधार पर इंवेस्ट करने का निर्णय लेता है। हालांकि, मोटे तौर पर देखा जाए तो डाटा यह बताता है कि कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ के मुकाबले प्रॉफिट ग्रोथ अधिक महत्वपूर्ण होती है व असल में प्रॉफिट ग्रोथ ही इक्विटी रिटर्र्न को ड्राइव करती है। रिसर्च फर्म आयोनिक वैल्थ द्वारा जारी डाटा के मुताबिक रेवेन्यू ग्रोथ के कमजोर रहने के बावजूद कंपनियों के ओपरेटिंग व नेट प्रॉफिट में ग्रोथ के चलते उनके शेयरों में बढ़ोतरी देखी गई है। साथ में दिए गए डाटा को देखें तो 2020-21, 2021-22 व 2023-24 में कंपनियों की कमजोर रेवेन्यू ग्रोथ के बावजूद प्रॉफिट में दर्ज की गई बढ़ोतरी के चलते निफ्टी-500 इंडेक्स ने बड़ा पॉजिटिव रिटर्न दिया। उदाहरण के तौर पर देखें तो फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में निफ्टी-500 इंडेक्स में शामिल कंपनियों की रेवेन्यू मात्र 6 प्रतिशत ही बढ़ी थी जबकि उनका ओपरेटिंग व नेट प्रॉफिट क्रमश: 23 प्रतिशत व 34 प्रतिशत की रेट से बढ़ा था। प्रॉफिट में इस ग्रोथ के चलते निफ्टी-500 इंडेक्स में 2023-24 में 40 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी। वहीं इसके विपरीत 2022-23 व 2024-25 में रेवेन्यू ग्रोथ के बावजूद कमजोर प्रोफिटेबिलिटी ग्रोथ के चलते निफ्टी-500 इंडेक्स का परफोर्मेंस कमजोर दर्ज किया गया। ऐसे में कहा जा सकता है कि कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ नहीं बल्कि Earning Power इक्विटी परफोर्मेंस को ड्राइव करती है।

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Revenue नहीं... Profit Growth से बढ़ते हैं शेयर

 शेयर बाजारों की भावी चाल का आम तौर पर अंदाजा लगाना मुमकिन नहीं है। इसीलिए स्टॉक मार्केट में सभी को लांग-टर्म के लिए इंवेस्ट करने की सलाह दी जाती है। शेयर बाजारों में कंपनियों का एनालिसिस करने का सभी का अपना-अपना तरीका होता है। कोई इंवेस्टर कंपनी मेनेजमेंट को सबसे महत्वपूर्ण मानता है तो कोई कंपनी के पुराने फाइनेंशियल परफोर्मेंस को। इसी तरह कोई वेल्यूएशन के आधार पर कंपनियों का एनालिसिस करता है तो कोई टेक्नीकल या चाटर््स के आधार पर इंवेस्ट करने का निर्णय लेता है। हालांकि, मोटे तौर पर देखा जाए तो डाटा यह बताता है कि कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ के मुकाबले प्रॉफिट ग्रोथ अधिक महत्वपूर्ण होती है व असल में प्रॉफिट ग्रोथ ही इक्विटी रिटर्र्न को ड्राइव करती है। रिसर्च फर्म आयोनिक वैल्थ द्वारा जारी डाटा के मुताबिक रेवेन्यू ग्रोथ के कमजोर रहने के बावजूद कंपनियों के ओपरेटिंग व नेट प्रॉफिट में ग्रोथ के चलते उनके शेयरों में बढ़ोतरी देखी गई है। साथ में दिए गए डाटा को देखें तो 2020-21, 2021-22 व 2023-24 में कंपनियों की कमजोर रेवेन्यू ग्रोथ के बावजूद प्रॉफिट में दर्ज की गई बढ़ोतरी के चलते निफ्टी-500 इंडेक्स ने बड़ा पॉजिटिव रिटर्न दिया। उदाहरण के तौर पर देखें तो फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में निफ्टी-500 इंडेक्स में शामिल कंपनियों की रेवेन्यू मात्र 6 प्रतिशत ही बढ़ी थी जबकि उनका ओपरेटिंग व नेट प्रॉफिट क्रमश: 23 प्रतिशत व 34 प्रतिशत की रेट से बढ़ा था। प्रॉफिट में इस ग्रोथ के चलते निफ्टी-500 इंडेक्स में 2023-24 में 40 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी। वहीं इसके विपरीत 2022-23 व 2024-25 में रेवेन्यू ग्रोथ के बावजूद कमजोर प्रोफिटेबिलिटी ग्रोथ के चलते निफ्टी-500 इंडेक्स का परफोर्मेंस कमजोर दर्ज किया गया। ऐसे में कहा जा सकता है कि कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ नहीं बल्कि Earning Power इक्विटी परफोर्मेंस को ड्राइव करती है।


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