इंडिया की प्रमुख नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी जयपुर बेस्ड एसके फाइनेंस लिमिटेड का आईपीओ अगस्त 2025 की शुरुआत में दस्तक दे सकता है। एसके फाइनेंस की अपने आईपीओ में 2200 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। इश्यू में 500 करोड़ रुपए के नए शेयर जारी हो सकते हैं और 1700 करोड़ रुपए का ऑफर फोर सेल (ओएफएस) रह सकता है। नॉरवेस्ट वेंचर पार्टनर्स, टीपीजी, इवॉल्वेंस के साथ कंपनी के प्रमोटर ओएफएस के जरिए अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच सकते हैं। कंपनी द्वारा मार्केट से जुटाई जाने वाली राशि का उपयोग टियर-1 कैपिटल को मजबूत करने के साथ एक्सपेंशन आदि पर खर्च किया जाएगा। जानकारी के अनुसार कंपनी की शुरुआत वर्ष 1994 में हुई थी। कंपनी मुख्य रूप से सेमी-अर्बन व रूरल क्षेत्रों में व्हीकल फाइनेंस, एसएमई लोन व बिजनस लोन पर फोकस करती है। कंपनी वर्तमान में 12 राज्यों में 648 ब्रांचेज के साथ 12000 से अधिक कर्मचारियों और 10,700 से अधिक कनेक्टर्स के रेफरल नेटवर्क के माध्यम से काम करती है। कंपनी नॉर्थ इंडिया के मार्केट मुख्य रूप से राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब व हरियाणा आदि राज्यों में अपने कारोबार को अंजाम देती है। कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस पर नजर डालें तो वित्तीय वर्ष 2022-23 में कंपनी ने 1314.24 करोड़ रुपए की रेवेन्यू पर 222.79 करोड़ रुपए का नेट प्रॉफिट किया था, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कंपनी की रेवेन्यू 1791 करोड़ रुपए के साथ 311 करोड़ रुपए का नेट प्रॉफिट दर्ज किया गया था। वित्तीय वर्ष 2024-25 में कंपनी की रेवेन्यू 2377 करोड़ रुपए के साथ 379 करोड़ रुपए का नेट प्रॉफिट दर्ज किया गया। मार्च 2025 तक कंपनी का कुल एयूएम (प्रबंधन के तहत संपत्ति) 13261 करोड़ रुपए था, जिसमें से व्हीकल वित्त एयूएम 70 फीसदी से अधिक था। कंपनी की कुल रेवेन्यू में 23 फीसदी बिजनस लोन व 77' व्हीकल लोन की भागीदारी है। कंपनी को कुल रेवेन्यू में से करीब 45' रेवेन्यू अकेले राजस्थान से मिलती है। कंपनी के लिए राजस्थान शुरू से ही मेजर मार्केट रहा है। लोगों की बदलती प्राथमिकताओं, डिजिटल प्लेटफॉम्र्स की आसान उपलब्धता, फाइनेंसिंग में आराम होने के साथ लोगों की इनकम का लेवल बढ़ जाने जैसे कारणों से राजस्थान समेत देश में सेकेंड हैंड यानी यूज्ड कारों की डिमांड में अच्छी खासी तेजी देखने को मिल रही है। ग्राहक एंट्री लेवल से मिड एसयूवी व एसयूवी सेगमेंट की सेकेंड हैंड कारें खूब खरीद रहे हैं। वहीं जयपुर जैसे मार्केट में पिछले कुछ महीनों से यूज्ड कारों की अच्छी खासी बिक्री हो रही हैं, जिसके कारण व्हीकल लोन सेगमेंट को वृहद स्तर पर प्रोत्साहन मिल रहा है। इंडिया की बात की जाए तो पांच साल पूर्व एक नई कार पर एक यूज्ड कार बिकती थी लेकिन यह रेशियो बढक़र 1.4 हो गया है। इसका मतलब है कि हर 100 नई कारों के मुकाबले 140 यूज्ड कारें बिक रही है। इस साल इंडिया में यूज्ड कारों की बिक्री 60 लाख युनिट्स के पार पहुंच सकती है, जिसके कारण व्हीकल लोन सेगमेंट में अच्छी अपार्चुनिटी बनी हुई। कंपनी रूरल व सेमी-अर्बन में बैंकिंग सेवाओं से वंचित और कम बैंकिंग सेवाओं वाले कस्टमर्स तक आसानी से पहुंच रही है।