AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसी टेक्नोलॉजी के सामने इंसान खुद को Surrender (आत्मसम्र्पण) करने की दहलीज पर खड़ा है जिसके उदाहरण आजकल कई परिवारों में देखे जा सकते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों के दिमाग को डवलप करने के लिए Learning के जिस मॉडल पर हमारा एज्युकेशन सिस्टम सदियों से चलता आ रहा है, उस मॉडल को AI ने Cheating से हमारी आंखों के सामने धवस्त करना शुरू कर दिया है और दिलचस्प बात है कि यह जानते हुए भी कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। अगर किसी स्टूडेंट से क्लास के ब्लैक बोर्ड पर गणित के सवाल को हल करने को कहा जाए तो वह या तो हल कर सकता है या नहीं कर सकता पर इतना जरूर है कि इस तरीके से वह Cheating तो बिल्कुल नहीं कर सकता। आजकल एज्युकेशन में ऐसी Learning कम होती जा रही है बल्कि सवालें के जवाब खुद हल करने की बजाए स्टूडेंट पढऩे, होमवर्क करने व हर मुश्किल सवाल को बिना दिमाग लगाए हल करने के लिए AI के ChatGPT जैसे मॉडल का इस्तेमाल करने लगे हैं। एक सर्वे में पता चला कि वर्ष 2023 में 89 प्रतिशत स्टूडेंटों ने अपना होमवर्क करने के लिए कभी न कभी Chat GPT का उपयोग किया था तो साथ ही 50 प्रतिशत से ज्यादा स्टूडेंट essay (निबंध) लिखने के लिए ChatGPT का उपयोग कर चुके हैं एज्युकेशन में बढ़ता ChatGPT का उपयोग सही है या गलत यह अलग से बहस का मुद्दा है पर कई रिसर्च बताती है कि एज्युकेशन के क्षेत्र में काम कर रहे ज्यादातर लोग यह स्वीकारते हैं कि AI से स्टूडेंट की Short-Term परफोर्मेंस तो अच्छी हो जाती है पर वह लम्बे समय तक उसके साथ नहीं रह पाती विशेषकर तब जब स्टूडेंट को बिना AI के सहारे कुछ करना हो। यह भी सच है कि बिना पढ़े Quiz में अच्छा करके दिखाने वाले स्टूडेंट ने कुछ सीखा हो या रुद्गड्डह्म्ठ्ठ किया हो, इसकी संभावना कम ही है। इसी तरह बिना रिसर्च किए, Learn को समझे, अपनी बातों को ऑर्डर में पहले या बाद में लिखे व सही शब्दों को ढूंढकर लिखे बिना essay लिखने का दावा करना भी सही नहीं कहा जा सकता। AI से ऐसा करने वाले स्टूडेंट न तो नॉलेज व Learning को दिमाग में रख पाते हैं और न ही अपने दिमाग की Creative व Thinking पॉवर को डवलप कर सकते हैं। आज का डवलप होता एज्युकेशन सिस्टम चीटिंग को इनाम देने वाला बनता जा रहा है जो धोखेबाजी और बेईमानी की सजा देने में कमजोर हो चुका है जिसकी झलक हमें परीक्षा के शानदार रिजल्ट में लगातार दिख रही है। ऐसा माहौल स्टूडेंट का Character (चरित्र) बनने से पहले ही बर्बाद कर सकता है जिसके स्टूडेंट के आगे के जीवन में क्या-क्या परिणाम होंगे इसकी किसी को परवाह नहीं है। इन सभी के बीच कई स्टूडेंट ऐसे भी हैं जो AI व ChatGPT को स्कूल और कॉलेजों में बंद करवाना चाहते हैं व पहले जैसी दिमाग पर जोर देने वाली एज्युकेशन लेना चाहते हैं। Common Sense के हिसाब से क्लास में स्क्रीन पर रोक लगाने व ऑनलाइन पढ़ाने व सिखाने के हर तरीके को खत्म करने से स्टूडेंट को सोचने, समझने, जानने व ढूंढने के लिए दिमाग को काम पर लगाना ही पड़ेगा। AI से किए गए होमवर्क या किसी भी तरह के काम पर सख्त एक्शन लेने के उदाहरण पेश करने से इसका उपयोग कम किया जा सकता है। आपस में बात करके पढ़ाई कराने का तरीका सदियों से हमारे बीच रहा है। सेमिनारों का उपयोग लोगों के दिमाग को एक्टिव करके उन्हें Topic से जोडऩे का होता है तो Group Discussion व Debate से स्टूडेंट के फोकस और उसकी नॉलेज को परखा जाता है और यह तरीका दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटियों का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। एज्युकेशन हमें कई तरह की सोच, धारणाओं, पक्षपात व अज्ञान से छुटकारा दिलाने का जरिया मानी जाती है पर इन तक Learning या सीखने से ही पहुंचा जा सकता है जो एक पल या एक दिन में बटन दबाकर करने वाला काम नहीं है। टेक्नोलॉजी की जगह एज्युकेशन में होनी चाहिए इससे कोई इंकार नहीं है पर जब ऐसा Learning की कीमत चुकाकर होने लगा हो तो इसकी गंभीरता को स्वीकार करने में देर नहीं की जानी चाहिए।