मोबाइल फोन हो या लेपटॉप, ये दोनों ही इंसानों से इस तरह जुड़ चुके है कि इनके बिना रहने वालों को किसी अलग दुनिया का प्राणी माना जाने लगा है। मोबाइल फोन के उपयोग के कारण तो समझे जा सकते हैं लेकिन घंटो तक लेपटॉप की स्क्रीन पर नजरें जमाए बैठे करोड़ों लोग डेटा व डिजाइन की असीमित दुनिया का हिस्सा बन रहे है। यह बदलाव कोई साधारण बदलाव नहीं है क्योंकि आजकल लेपटॉप सेल्स, मार्केटिंग, डिजाइन, फाइनेंस, मीटिंग, डेटा एनालिसेस, रिपोर्टिंग आदि जैसे अनगिनत कामों का मुख्य आधार बन गया है। बड़े शहरों के साथ-साथ अब छोटे शहरों में भी लोग कैफे व रेस्टोरेंट में अपने लेपटॉप पर घंटों बैठकर काम करते देखे जा सकते हैं। इनमें से वास्तव में काम करने वालों की संख्या भले ही ज्यादा न हो पर फिर भी खुद को बिजी दिखाने का जुगाड़ लेपटॉप की मदद से कर लिया जाता है। कान में Wireless Earphone लगाए वीडियों पर मीटिंग करते लोगों को देखना मनोरंजन भी करता है तो उस फार्मूले को समझने की जिज्ञासा भी पैदा करता है जिससे कॉफी पीते-पीते और पेस्ट्री खाते-खाते काम करने पर भी अच्छी कमाई की जा सकती है। कई लोग दिन के कई घंटे कैफे में लेपटॉप के सहारे अकेले बैठे-बैठे गुजारने के आदी हो चुके हैं और इसके लिए उनकी जगह कैफे में बिना कहे ही बुक रहती है। काल सेंटरों से लेकर डेटा सेंटरों तक यंग लोगों की पूरी आर्मी लेपटॉप पर नए कस्टमरों को ढूंढते हुए डेटा के समुद्र में हर दिन डुबकियां लगाती है और कस्टमरों से संपर्क करने की कोशिशों में कोई कमी नहीं आने देती। हालांकि इस पूरी कार्यवाही से वास्तव में कितने लोगों को प्रोडक्ट या सर्विस बेचने में कामयाबी मिलती होगी यह तो ऐसा करने वाली कंपनियां ही सही-सही बता सकती है।
यह जानना भी दिलचस्प है कि आस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोप में कई कैफे चलाने वाले ऐसे लोगों से परेशान होने लगे हैं जो घंटो उनके कैफे में बैठकर लेपटॉप पर काम करते रहते हैं। वहां एक कैफे वाले ने नोटिस लगाया जिसमें लिखा था कि लेपटॉप, आईपेड और इनके जैसे गैजेट पर काम करने वालों को कैफे में बैठने की अनुमति (Permission) नहीं है। इसी नोटिस में यह भी लिखा गया कि पढऩे, दिन में सपने देखने व गप्पे लगाने वालों का स्वागत है। कैफे वालों की इस पहल को आम लोगों का समर्थन भी मिलने लगा है। इसके वैसे तो कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण यह लगता है कि एक ही कॉफी को धीरे-धीरे घंटों तक पीने वाले लोग कैफे को ज्यादा रेवेन्यू नहीं देते जो सिर्फ अपना Time Pass करने के लिए वहां आकर बैठते है। यह संतोष की बात है कि लेपटॉप वर्कर वाली उत्तेजना से भरी जेनरेशन को कैफे वाले पढऩे और सपने देखने की बात कहने की हिम्मत रखते है। कारोबारों की समझ रखने वाले जानते है कि ऐसे लोगों के भरोसे कमाई करना संभव नहीं है कि लेकिन हमारे यहां यह ट्रेंड अभी शुरुआती दौर में है जिसमें कैफे या रेस्टोरेंट कमाई से ज्यादा कस्टमरों से भरे रहने की चुनौती के चलते हर हाल में लोगों को बुलाना चाहते हैं। यही कारण है कि Laptop Workers की नई क्लास फैशन में है जिन्हें ष्टशशद्य मानकर व आजाद समझकर कई लोग इस रेस का हिस्सा बनने लगे है जो Timepass के अलावा वास्तव में Laptop पर क्या करते है यह कोई नहीं जानता। सस्ता या फ्री डेटा, किफायती दाम पर AC में बैठने की जगह का मिलना व लेपटॉप पर उपलब्ध हर तरह के कंटेंट के बाद समय गुजारने के लिए पढऩा व बातें करना अब बहुत कम लोगों को आकर्षित करने लगा है। यह बदलता ट्रेंड बता रहा है कि अकेलेपन में आजादी का मजा लेने के लिए तैयार होती जेनरेशन भले ही कोई भी काम करे लेकिन इनकी मूल पहचान Laptop Workers के रूप में ज्यादा होगी और इस स्थिति में Laptop परछाई की तरह उनके साथ हमेशा बने रहने की पॉवर हासिल कर चुका है जिसके बिना काम में न कोई शान और शायद ही कोई और पहचान रह गई है।